भवनों के जो डिजाइन तैयार किए गए हैं वे बहुत साधारण, कम लागत वाले तथा स्वदेशी प्रकार के हैं ताकि अपने परिवेश से अलग और अप्रिय न लगें। भौतिक स्वरूप की अपेक्षा आसपास के परिवेश के साथ इनके सामंजस्य पर बल दिया जाता है। सभी भवन एक/दो मंजिला और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल बनाए गए हैं। भिन्न-भिन्न जलवायु एवं स्थलाकृतिक क्षेत्रों के लिए अलग तरह की छतों एवं भवन निर्माण सामग्री के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के डिजाइन अपनाए गए हैं।
जवाहर नवोदय विद्यालय के अपने स्कूल भवन, लड़कों एवं लड़कियों के लिए छात्रवास, भोजनालय एवं रसोई की सुविधा, शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए आवास उपलब्ध हैं, जहॉं खेलकूद एवं मनोरंजन के लिए पर्याप्त खुली जगह होती है। स्व- श्री राजीव गाँधी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की स्मृति में सभी नवोदय विद्यालयों में एक स्मृति वन बनाया जाता है जो कि विद्यालय प्रांगण का एक अभिन्न अंग होता हैं। पहाड़ी क्षेत्रों के लिए जहां स्कूल भवन और केंद्रीय आंगन के साथ शयनागार ब्लाकों को शामिल नहीं किया जा सकता, मॉड्यूलर डिजाइन को अपनाया गया है। निर्माण की लागत को कम करने के लिए इन इमारतों को दो मंजिला बनाया जाता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में सामग्री और विशिष्टताओं को स्थानीय केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के मानदंडो के अनुसार अपनाया जाता है। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भवन निर्माण में विशेष उपाय किए जाते हैं । सभी नए जवाहर नवोदय विद्यालयों में पर्याप्त अग्नि सुरक्षा उपाय किए गए हैं और शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए अपेक्षित व्यवस्था की गई है ।
विद्यालय की इमारत में 14 क्लासरूम, 3 प्रयोगशालाएं, एक कम्प्यूटर कक्ष, एक पुस्तकालय, प्रदर्शन क्षेत्र, प्रशासनिक एवं स्टाफ कक्ष होते हैं। प्रत्येक कक्षा में 40 बच्चों के बैठने की व्यवस्था होती है। भौतिक शास्त्र, जीवविज्ञान, गणित एवं कम्प्यूटर के लिए प्रयोगशालाओं की व्यवस्था है। लड़कों एवं लड़कियों के लिए पृथक शौचालय उपलब्ध कराए जाते हैं। स्कूल के प्रवेश द्वार को आकर्षक रूप दिया गया है। प्रवेश करने के पश्चात एक प्लेटफार्म आता है, जिसे सभा के दौरान मंच के रूप में प्रयोग किया जाता है। केंद्रीय प्रांगण को सभा के मैदान के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
जवाहर नवोदय विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों (एक विद्यालय में अधिकतम 560 छात्र)के लिए छात्रवास सुविधा उपलब्ध है। किसी आवासीय विद्यालय में विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे आत्मनिर्भरता के साथ रहने की आदत, अनुशासन, मेहनत पर गर्व की भावना एवं बांटने की प्रवृत्ति सीखें। अतः आवास, प्राकृतिक रोशनी से परिपूर्ण, हवादार होने, आरामदायक एवं खुला होने के साथ-साथ सही वातावरण प्रदान करने वाला भी होना चाहिए। छात्रवास के डिजाइन पर विचार करते समय हमारे देश की उष्णकटिबन्धीय जलवायु के महत्वपूर्ण पहलू को ध्यान में रखा जाता है। इसीलिए छात्रवासों का ढांचा साधाारण बनाया जाता है, परन्तु रहने की दृष्टि से वे अति कुशल हैं। प्रत्येक विद्यालय में 6 छात्रवास बनाए गए हैं, जिनमें 4 लड़कों के लिए एवं 2 लड़कियों के लिए हैं और प्रत्येक छात्रवास में 96 विद्यार्थी होते हैं। छात्रवास में दो हाउस मास्टरों के रहने की व्यवस्था होती है (48 विद्यार्थियों हेतु एक)।
प्रभावी नियंत्रण के लिए प्रधानाचार्य का निवास स्कूल भवन के किसी उपयुक्त स्थान पर 106 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाया जाता है । अध्यापकों के लिए 60 वर्ग मीटर क्षेत्र में बने 16 आवास, प्रत्येक प्रशासनिक स्टाफ के लिए 50 वर्ग मीटर क्षेत्र में बने 12 आवास तथा सहायक कर्मचारियों के लिए 40 वर्ग मीटर के 6 आवास होते हैं। विद्यालय में 60 वर्ग मीटर कुर्सी क्षैत्रफल का एक अतिथि गृह भी बनाया जाता है।
560 छात्रों के लिए 757 वर्ग मीटर में रसोई घर के साथ एक बड़ा भोजन कक्ष होता है जहाँ सभी छात्र एक साथ एक ही समय पर भोजन कर सकते हैं।
इनमें विद्युत सबस्टेशन, एक लाख लीटर क्षमता की ओवरहैड टंकी एवं एक लाख लीटर क्षमता वाली भूमिगत टंकियाँ, सड़कें जल-मल निकास नालियां, जल आपूर्ति तथा वर्षा जल नालियां शामिल होती हैं। 190 ग 110 मीटर के खेल के मैदान जिसमें 400 मीटर रेसिंग ट्रैक, 40 ग 30 मीटर के दो खो-खो मैदान (लड़कों एवं लड़कियों, प्रत्येक के लिए एक), 40 ग 30 मीटर के दो बास्केट बॉल मैदान होते हैं।
सभी नवनिर्मित जवाहर नवोदय विद्यालयों में शारीरिक रूप से विकलांग छात्रों के लिए बुनियादी और आवश्यक सुविधाएँ जैसे बाधा मुक्त रैंप और शौचालय उपलब्ध कराए जाते हैं यद्यपि कुछ ज.न.वि. जो पुरानी सी.बी.आर.आई. पद्धति के अनुसार निर्मित है, उनमे भी ये सुविधाएं चालू वर्ष के विशेष अभियान के अंर्तगत विस्तारित की गई हैं।
जेएनवी का नाम | राज्य | निर्माण एजेंसी | क्षेत्र |
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अंगुल | ओडिशा | एचएससीएल | भोपाल |
देवगढ़ | ओडिशा | केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग | भोपाल |
रायगढ़ | ओडिशा | ओ.आई.आई.डी.सी. | भोपाल |
उज्जैन द्वितीय | मध्य प्रदेश | लोक निर्माण विभाग | भोपाल |
किन्नौर | हिमाचल प्रदेश | केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग | चंडीगढ़ |
लाहौल & amp; स्पीति | हिमाचल प्रदेश | केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग | चंडीगढ़ |
जम्मू-दो | जम्मू & amp; कश्मीर | एचएससीएल | चंडीगढ़ |
पूर्वी गोदावरी -2 (खम्मम -2) | आंध्र प्रदेश | एचएससीएल | हैदराबाद |
बांसवाड़ा द्वितीय | राजस्थान | यू.पी.जे.एन. | जयपुर |
श्रीगंगानगर -2 | राजस्थान | एचएससीएल | जयपुर |
वलसाड | गुजरात | यू.पी.जे.एन. | पुणे |
धुबरी | असम | ए.आई.आई.डी.सी. | शिलांग |
उदलगुड़ी | असम | ईपीआईएल | शिलांग |
आइजोल | मिजोरम | केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग | शिलांग |
चम्फाई | असम | एम.ए.एम.सी.ओ. | शिलांग |